उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पीड़ितों की मुश्किल राह को असान बना रही है। यह हेल्पलाइन सिर्फ जरूरतमंदों की मदद ही नहीं कर रहा है, बल्कि संदिग्धों की पहचान, उनकी काउंसिलिंग और चिकित्सकीय सुविधा भी मुहैया करा रहा है।
दरअसल मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर ऐसी शिकायतों के निस्तारण के लिए अलग से कोविड डैशबोर्ड बनाया गया है। इस पर सिर्फ लॉकडाउन से होने वाली समस्याओं को ही सुना जा रहा है। इससे अब तक 10,3870 शिकायतों का निस्तारण हो चुका है।
मुख्यमंत्री कर्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, छह मार्च के बाद विदेश से आने वालों पर भी मुख्यमंत्री हेल्पलाइन के जरिए नजर रखी जा रही है। ऐसे 5 हजार से अधिक लोगों को उनके मोबाइल पर एसएमसस के जरिए एक वेब लिंक भेजा गया। उनसे कहा गया कि वह संबंधित वेब लिंक पर क्लिक कर मोबाइल एप इंस्टाल कर उस पर अपना विवरण दर्ज करें। इसके अलावा 28 दिनों तक हर रोज अपने स्वास्थ्य का ब्यौरा उस पर भेजें।
यह हेल्पलाइन लगातार आशा वर्कर के भी संपर्क में है। उनसे कहा गया है कि वह लगातार अपने क्षेत्र में भ्रमण पर रहें। इस दौरान बाहर से आये लोगों और संदिग्ध कोरोना पीड़ितों की जानकारी एकत्र करें। इनकी सूची तैयार कर संगिनी के जरिए बीसीपीएम को सूचित करें। ऐसे लोगों को यह भी सलाह दें कि वह 14 दिनों तक घरों में ही रहकर खुद को परिवार के लोगों से अलग रखें।
जानकारी के अनुसार, प्रदेश से बाहर रहने वाले जिन लोगों की शिकायतें हेल्पलाइन पर प्राप्त हो रही हैं उनको संबंधित राज्यों के लिए बनाए गये नोडल अधिकारियों को भेज दिया जा रहा है।
राजधानी लखनऊ के रतनपाल का मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1076 पर फोन आता है। वह बताते हैं कि उनको उनकी दवाएं नहीं मिल रही हैं। मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर उनकी समस्या सुनने वाले ने तुरंत संज्ञान लिया। स्थानीय अधिकारी को इस बारे में बताया गया। थोड़ी देर बाद उन तक दवाएं पहुंच गईं। इसी तरह गौतमबुद्घ नगर के शंकर सिंह ने बताया कि उनके राशन जैसी समस्या का हल इसी हेल्पलाइन के माध्यम से हुआ है।