UP Election 2022: बसपा छोड़ भाजपा का दामन थामने वाले उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने भारतीय जनता पार्टी से भी किनारा कर लिया है। मौर्या ने मंगलवार को अपना इस्तीफ़ा राजयपाल को सौंपा। इसके तुरंत बाद ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर अपने और स्वामी प्रसाद की फोटो सांझा की और उनका सपा में स्वागत किया।
सूत्रों की मानें तो उनके साथ करीब आधा दर्जन विधायक भी भाजपा छोड़ सकते हैं। स्वामी प्रसाद मौर्या का कद हमेशा से ही बड़ा रहा है फिर चाहे वो मायावती की बहुजन समाज पार्टी में हो या भाजपा में। ऐसे में चुनाव से ठीक पहले उनका इस्तीफ़ा भाजपा के लिए बड़ा झटका बताया जा रहा है।
अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा – सामाजिक न्याय और समता-समानता की लड़ाई लड़ने वाले लोकप्रिय नेता श्री स्वामी प्रसाद मौर्या जी एवं उनके साथ आने वाले अन्य सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन! सामाजिक न्याय का इंक़लाब होगा ~ बाइस में बदलाव होगा
सामाजिक न्याय और समता-समानता की लड़ाई लड़ने वाले लोकप्रिय नेता श्री स्वामी प्रसाद मौर्या जी एवं उनके साथ आने वाले अन्य सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन!
सामाजिक न्याय का इंक़लाब होगा ~ बाइस में बदलाव होगा#बाइसमेंबाइसिकल pic.twitter.com/BPvSK3GEDQ
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 11, 2022
इस बीच, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता केशव प्रसाद मौर्य ने एक ट्वीट कर इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है, ”आदरणीय स्वामी प्रसाद मौर्य जी ने किन कारणों से इस्तीफा दिया है, मैं नहीं जानता हूं. उनसे अपील है कि बैठकर बात करें. जल्दबाजी में लिए हुए फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं.”
आदरणीय स्वामी प्रसाद मौर्य जी ने किन कारणों से इस्तीफा दिया है मैं नहीं जानता हूँ उनसे अपील है कि बैठकर बात करें जल्दबाजी में लिये हुये फैसले अक्सर गलत साबित होते हैं
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) January 11, 2022
स्वामी प्रसाद के बेटे उत्कर्ष मौर्य के समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद से ही कयास लगने शुरू जो गए थे कि जल्द ही वह भाजपा छोड़ देंगे। अब उम्मीद इस बात की है कि जल्द ही वह सपा का दामन थाम लेंगे।
बताते चलें की यूपी विधानसभा चुनाव 2012 में बसपा की हार के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिए गए थे। इसके चलते मायावती के साथ मौर्य के संबंधों में खटास आती गई थी।